गुरुवार, 9 मई 2024

कैशफ्लो क्वार्ड्रेंट के बारे में जानिए

समाज में ऐसे काफी लोग मिल जायेगे जिनके लिए ये फोटो अबूझ पहेली है। इस पहेली को समझने के हमे कुछ बुक का स्टडी करना पड़ेगा तब जाके इसका महत्व और मतलब समझ में आएगा। कुछ किताबो के नाम इस प्रकार है -बिज़नस स्कुल, कैशफ्लो क्वाड्रेंट, रिटायर यंग रिटायर रिच, रिच डैड पुअर डैड, पैराबोला ऑफ़ पाईप लाईन, कोपी कैट मार्केटिंग 101 आदि। इन सभी बुक को पढ़ने के बाद सही कांसेप्ट समझ में आता है। इन किताबो में बताया गया है की हम अपना जीविकोपार्जन के लिए कौन सा पेशा करते है, उसका क्या परिणाम मिलता है और एक सुरक्षित जीवन के लिए हमे कौन सा काम करना चाहिए जिससे की हम अपना भला तो करे ही साथ में अपनी आने वाली पीढ़िया और समाज के लिए भी कुछ कर सके। 

आईये थोडा डिटेल में चलते है। नर्क्से नामक अर्थशास्त्री ने ''गरीबी के दुश्चक्र'' को परिभाषित किया है जिसमे इन्होने बताया है की ये एक चक्र है जिसमें एक बार आदमी फंस जाता है तो फंसा ही रहता है और निकलने की लाख कोशिश करता है लेकिन निकल नहीं पाता, उससे निकलने के लिए विशेष प्रयास की जरूरत होती है। उसी प्रकार रोबेर्ट टी कियोसाकी ने ''चूहा दौड़'' के बारे में बताया है मतलब एक ऐसा दौड़ जिसमें हम दौड़ते रहते है और पहुंचते कहीं नहीं है। उन्होंने कहा है कि मध्यम वर्ग हमेशा इस चूहा दौड़ में पिसा रहता है और उसे पता ही नहीं होता। एक आम मध्यम वर्ग की लाइफ को देखते है, वो खूब मन लगा के पढता है किसके लिए नौकरी के लिए और जीवन भर गरीब रहने का रास्ता चुनता है। गाड़ी लोन पे, मकान लोन पे, घर का सारा सामान लोन पे और कर्ज की किस्ते चुकाते चुकाते जीवन की इह लीला को समाप्त कर लेते है और हाथ में कोई बहुत बड़ी उपलब्धि भी नहीं होती। एक मकान बना लेते है बच्चे को कहीं सेटल कर ले और यदि वो सेटल नहीं हुआ तो इसके हिस्से में भी संघर्ष छोड़कर जाते है। जीवन में रिस्क लेने से हमेशा बचता रहता है। उनका जीवन समाप्त हो जाता है,  कुछ ऐसा कार्य नहीं कर पाते है जिसे उनके जाने के बाद कोई याद करे। वो समझ ही नहीं पाता है कि रिस्क न लेना उसके लिए सबसे बड़ा रिस्क होता है। इतना होने के बाद भी वही आदमी अपने बच्चो को अपने जैसा ही बनाने का प्रयास करता है। कितना बेवकूफाना काम करता है वो? है ना? संतोषम परम सुखं में रहता है। अपनी पैसे का  80% मार्केट में खर्च करता है और 20% बचत में से सपने पूरा करने को सोचता है। क्या ये संभव है? दर असल उसकी समस्या उस आय की प्रकृति की होती है जिसे वो समझ ही नहीं पाता। 
 दुर्भाग्य से अपने देश में पैसे की समझ के बढ़ाना ही नहीं चाहते लोग। जीवन भर पैसे के लिए भाग दौड़ करते है लेकिन उसके बारे में अध्ययन नहीं करते है। जिम रॉन का कथन है कि यदि आपको वेल्थ चाहिए तो वेल्थ को स्टडी कीजिए। यानी जो चाहिए उसे पढ़िए। लेकिन ज्यादातर लोगो के लिए फाइनेंस एक उबायू विषय है। यदि आप लोगो को जीवन में आर्थिक रूप से फ्री होता है तो इस पैसे की समझ को बढ़ाना ही होगा। हमारी मूल समस्या पैसा है तो इसकी प्रकृति और स्रोतों के बारे में जानना पड़ेगा। 

आय के प्रकार
वैसे आम लोगो से बात की जाय की आय /इनकम कितने प्रकार का होता है तो सभी लोग कहेगे की दो प्रकार का 1- नंबर 1 की इनकम यानी मेहनत और बुद्धि से आया पैसा और 2- नंबर 2 की इनकम यानी गलत कार्यों से उत्पन्न पैसा। थोड़ा इससे आगे चलते है तो पता चलता है कि आय दो प्रकार की होती तो है
 एक एक्टिव इनकम यानी जिसमें सक्रिय रहना पड़ता है। काम करेंगे तो पैसा आएगा काम बंद जैसे नौकरी, मजदूरी, दुकानदारी, स्वरोजगार से मिला धन
पैसिव इनकम यानी ऐसा इनकम जिसमें सक्रियता बहुत जरूरी नहीं होती। जैसे बैंक में रखे पैसे से ब्याज, मकान के किराया, रॉयल्टी से मिली इनकम आदि जिसमें आप निष्क्रिय रहो तब भी आय आती रहे। 

 इस इनकम को पाने के लिए कुल चार तरह के लोग होते है 
1- E अर्थात नौकरी करने वाले --
इस किस्म के लोग किसी संस्थान या नियोक्ता के यहां काम करते है और उस काम के बदले एक निश्चित भुगतान प्राप्त करते है। ये अपने क्षेत्र के काफी जानकर होते है और कई बार तो टॉपर भी होते है। ये अपना स्किल बेचते है। ये लोग या इनके परिवार में प्रायः लोग नौकरी करने के लिए ही पढ़ते है और अपनी सारी समस्यायों को इससे समाधान करने का प्रयास करते है।  ये स्कालर होते है ये जानते है किसी भी काम को कैसे किया जाय। कुल मिलाकर इनका  ''हाउ'''स्ट्रोंग होता है। ये शिक्षा लेके उसे टाइम से बेचना स्टार्ट कर देते है तो इनकम होती है जिनकी जितनी बड़ी योग्यता उतनी बड़ी इनकम। लेकिन इनकी ये अस्थाई इनकम होती है जो उसके जीवन के साथ ही ख़त्म हो जाती है। अब तो सरकारी नौकरियो में पेंसन और आश्रित कोटे की नौकरी के भी लाले पड़ गए है। कुल मिलाकर इनका सबसे बड़ा इश्यू सुरक्षा होती है कि एक तारीख को एक निश्चित इनकम इनके खाते में आ जाती है। कई बार ऐसा भी होता है इनका हुनर दब कर रह जाता है। ये लोग चाहे तो अपने हुनर से बड़ी इनकम बना सकते है लेकिन रिस्क नहीं लेते है और कुछ नया करना भी नहीं चाहते है।

आय = योग्यता * समय 
अब यदि इनकम बढ़ाना है तो या तो समय बढ़ावे या फिर योग्यता। लेकिन दोनों सीमित है। टाइम 24 घंटा और योग्यता मान लेते है की कोई मैथ का teacher  है और सरकार मैथ की सारी नौकरिया ख़त्म कर दे तो ये संभव नहीं होगा की वो फिर से कोई डिग्री ले और कोई और नौकरी करे। वैसे भी रिटायर मेंट पे इनकम भी आधी हो जाती है। अंत में डिपार्टमेंट भागवत गीता पकड़ा के नमस्कार कर लेता है। बच्चे को भी एकदम नए सिरे से स्टार्ट करना पड़ता है।

 2-S- self employ - यानी स्वरोजगारी या छोटे बिजनेस मालिक
अब आईये चर्चा करते है S पर एस मीन्स सेल्फ एम्प्लाई  यानि स्वरोजगारी। इसमें होता क्या है व्यक्ति अपने अन्दर कोई गुण विकसित करके छोटा सा सिस्टम बनता है और खुद को नौकरी पे रख लेता है। चुकी वो अपने क्षेत्र का विशेषज्ञ होता है इससे उसे लगता है की सबसे बढ़िया काम वही कर सकता है। इसमें दुकानदार, डाक्टर , वकील, सीए, प्लंबर आदि। ये भी नौकरी करने वाले की तरह एक्टिव इनकम बनाते है। अपने योग्यता , समय के साथ पूंजी का भी प्रयोग करते है जिससे ये थोड़ा बेहतर स्थिति में होते है लेकिन इनके यहाँ सबसे बड़ी जरुरी ये होता है की अपने आपको लगातार अपडेट करते रहे अन्यथा दूसरा उनको मार्केट से बाहर करके उनका स्थान ले लेगा। 
इनकम सूत्र ये है 
 योग्यता * समय * पूजी = मनी
 इनमे से कोई भी जीरो होता है तो इनकम भी जीरो हो जाता है अर्थात अस्थायी आय होती है। 
  काफी ऐसे सेल्फ एम्प्लाई ऐसे लोग मिलते है जो अपने आपको बिज़नस मैन बताते है लेकिन ऐसा नहीं होता। बिज़नस का सीधा फंडा है की यदि आप महीने साल भर काम करना बंद भी कर देते है तो आपकी इनकम कम न हो बल्कि बढ़ मिले। यदि हमारा काम इस मानक पे खरा है तो वो बिज़नस है अन्यथा स्वरोजगार है वो। 

3-B यानी बिजनेसमैन 
अब बी क्लास की बात करते है। ये अपने आप में बिलकुल अलग ही विधा होती है। फ़ोर्ब्स मैगजीन के अनुसार यदि आपके लिए 500 से अधिक व्यक्ति काम करते है और आप के बगैर रहे वो काम हो रहा है तो इसका मतलब आप बिज़नस कर रहे है। ये लोग काम नहीं करते है बल्कि काम किससे और कैसे कराया जाय यही सीखते है। ये खुद तो कोई खास पढ़े लिखे नहीं होते है लेकिन कैसे काम लिया जाय बखूबी जानते है। इनका ह्वाई अर्थात क्यों किया जाय कोई काम वे जानते है। यदि किसी उद्योग पति को कोई नया कारोबार करना है तो क्या करते है? येएमबीए किये हुए को खोजता है, फाईनेंस के लिए एक्सपर्ट, काम करने के लिए फिल्ड के एक्सपर्ट लोगों को खोजता है, बड़ी बड़ी मशीनें लगाता है। स्टार्टिंग में ये लोग पैसा लगाते है और इनकम एक समय बाद ही होता है। कोई भी प्रोजेक्ट 5 साल से ऊपर का उद्देश्य रखकर स्टार्ट करते है। E और S के लोग इनके लिए काम करते है और सुरक्षित रहते है।


4. I यानी Investor (निवेशक)

आय के साधनों में ये चौथा तरीका है जिसमें बिजनेस को चिन्हित करके उसमें इन्वेस्टमेंट करते है। इन्वेस्ट करना लेकिन ये हर किसी के बस की बात नहीं होती इस माध्यम से सिर्फ वही लोग पैसा कमा सकते हैं जिनके पास पहले से ही अधिक पैसा हो जिसको वे कहीं भी इन्वेस्ट करके उस पैसे को कई गुना बढ़ा सकते हैं। 

किस तरफ लोग अधिक पाए जाते है

निःसंदेह बाए तरफ लोग अधिक पाए जाते हैं। हम यदि अपने चारो तरफ ध्यान देंगे तो पाएंगे कि 95% से भी अधिक की संख्या में लोग बाए तरफ यानी E/S श्रेणी में मिलते है और मात्र 5% से भी कम लोग B/E में आते है। यदि पैसे के हिसाब से देखा जाय तो 95% से भी अधिक धन दाहिने तरफ के लोगों में पाया जाता है जबकि मात्र 5% धन दाहिने तरफ के लोग होते है।

इन चारों की समीक्षा 

बाए तरफ के लोग जीवन भर पैसे के लिए संघर्ष करते रहते है। उनका पैसे को लेकर समझ बहुत ही कमजोर होती है और वो अपने समझ को बढ़ाना भी नहीं चाहते है। उनके लिए ये विषय बहुत ही उबाऊ और निरर्थक विषय होता है। ये जीवन भर अपनी बढ़िया से पढ़ाई करो, अच्छी नौकरी करो और कर्ज पर मकान कार लो और फिर अपने बच्चों को भी अपने। जैसा बनाना चाहते है। इस पक्ष का काम को कैसे किया जाय, बहुत स्ट्रांग होता है और कार्यों को खुद ही करना पसंद करते है।

दूसरी तरफ दाहिने तरफ के लोग वित्तीय रूप से आजाद होते है। इनके पास अकूत पैसा होता है। ये लोगों को अपने यहां लोगों नौकरी पर रखते है और उन्हें मैनेज करने का काम करते है। दूसरे लोग काम करते है और उसका एक हिस्सा दूसरों को देकर शेष अपने पास रखते है। ये लोग लॉन्ग टर्म प्लानिंग करते है और कोई ऐसा सिस्टम बनाते है जिससे लंबे समय तक पैसा आता रहता है। जैसे मान लीजिए एक उद्योगपति ने कोई ब्रेड की फैक्ट्री लगाता है और जरूरत के हिसाब से 40/50 लोगो को नौकरी पर रखता है। नौकरी करने वाले किसी एक व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो उसका पूरा परिवार प्रभावित हो जाता है और इस नौकरी करने वाले को कोई जरूरी भी नहीं उसके बाद उसके बेटे को उसके जगह पर नौकरी लग जाएगी। दूसरी तरफ नौकरी करने वाले एक दो लोगों को कुछ होता है तो वो नए लोगों को नौकरी पर रख लेता है तो उसके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता है। दूसरी तरफ उस उद्योगपति को कुछ होता है तो उसके जगह पर उसका बेटा काम देखने लगता है। ये बेसिक फर्क होता है। दूसरी तरफ इन्वेस्टर इस ब्रेड बनाने वाली कंपनी में हिस्सेदारी लिया रहता है। उपरोक्त तथ्यों से ये स्पष्ट है कि इन चारों में से B/E सबसे बेहतर साधन होता है। तो बाए तरफ वालों को हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि वो बाए तरफ से दाएं तरफ जाए। 

कोई कैसे जाए बाएं से दाएं 

अब यक्ष प्रश्न है कि कोई कैसे जाए बाएं से दाएं? बहुत कठिन है क्योंकि आज की डेट में एक ब्रेड की छोटी ही फैक्ट्री भी लगाने जाइए तो कई लाख रुपए खर्च हो जायेंगे। और इन्वेस्टमेंट के लिए भी पैसा चाहिए। तो निःसंदेह तरीके है। 

यदि आप बिजनेस करना चाहते है और जा श्रेणी में आना चाहते है तो आपके पास उपाय है डायरेक्ट सेलिंग का जहां कोई अच्छा कंपनी को सेलेक्ट करके 5/6 लगन, धैर्य और अनुशासन के साथ काम किया जाय तो निःसंदेह सफलता मिलनी तय है। लेकिन यहां भी एक दिक्कत है लोग डायरेक्ट सेलिंग की अच्छी कंपनी के बजाय मनी सर्कुलेशन वाला काम करने लगते है। इसके लिए सभी कंपनी सही नहीं है। ज्यादातर फ्रॉड है, सीधे साधे लोगों को लूटते है।

तो कैसे चुना जाय कंपनी

ज्यादातर कंपनियों की बड़ी दुर्दशा है लोग एक ही लेवल पर घसीटते रह जाते है बस इस उम्मीद में कि कभी न कभी तो सफलता मिलेगी ही। डायरेक्ट सेलिंग में यदि सक्रिय है तो फोकस रिजल्ट पर होना चाहिए। उत्पाद, सिस्टम, कंपनी के बाद हमें सफलता की दर भी देखना चाहिए। आपको जो लेकर आया उस कम्पनी में कब से है और अभी तक कितना सफल हुआ है। आपको बार बार जिससे मिलाने को लेकर जाता है उसके और इसके बीच में कितना गैप है। गैप से मतलब जिससे मिलाने को ले जाता है उसके डाउन में कितने लोगों के बाद उसका नंबर आता है और बीच वाले भी कुछ सफलता पाए है या नहीं। इसके बाद अपने लाने वाले के कितने फ्रंट लाइन है और क्या वो भी कुछ सफलता पाए है या वो भी घसीट ही रहे हैब। हुत सारे बिंदुओं पर जानकारी करने के बाद ही काम कीजिए क्योंकि जो उसे रिजल्ट मिले है वही आपको भी मिलने वाला है। मैं बहुत सारे लोगों को जानता हूं जिन्हे 5 साल से भी अधिक हो गए है दूसरे तीसरे लेवल के मध्य में ही जूझ रहे है। 

क्या मैं भी डायरेक्ट सेलिंग से जुड़ा हुआ हूं

हमारे पास ऐसी बहुत सारी चीजे होती है जिसका मूल्य बहुत से लोगों को पता ही नहीं होता। डायरेक्ट सेलिंग भी एक उसी तरह विकल्प है जो मिल तो जाता है बड़ी आसानी से जिसका मूल्य पता ही नहीं होता। वहीं इस विकल्प को अपनाने वालों लोगों में जो धैर्य और अनुशासन के साथ काम करना प्रारम्भ करता है, ट्रेनिंग अटेंड करता है, कुछ अध्ययन करता है तो जैसे जैसे विजन मिलता जाता है वैसे वैसे मनोयोग के साथ काम करता है और एक समय बाद एक बड़ी सफलता अर्जित करता है।  ये बात है 11 दिसंबर 2019 की जब एक पार्क में टहलते एक लोग द्वारा बेहतर स्वास्थ्य के लिए न्यूट्रिशन सेंटर पर आमंत्रित किया गया था।  मुझे नहीं पता था कि मैं किसी डायरेक्ट सेलिंग कांसेप्ट में जा रहा हूं। वहां पर मुझे शेक ऑफर किया गया था जिसे लेने के बाद में सेहत में जबरदस्त पॉजिटिव बदलाव आया। शरीर से 20 किलो का वजन गया तो शरीर स्लिम हो गया लोगों ने नोटिस करना स्टार्ट किया और खुद ही सामने से पूछकर न्यूट्रीशन सेंटर आने लगे। थोड़े समय में ही कई लोगों की लाइफ बदल गई और लोगों की ब्लेसिंग मिलने लगी जिससे ग्रोथ अच्छी आने लगी। वहां कोई मार्केटिंग प्लान नहीं बताया गया, कोई सपना नहीं दिखाया गया। दिखाया गया तो सिर्फ और सिर्फ अच्छी सेहत। मुझे इसका टेस्ट बहुत अच्छा लगा और टेस्ट के लिए  उस न्यूट्रिशन क्लब जाने लगा और देखते देखते कैसे जीवन बदल गया पता ही नहीं चला। आज की तिथि में मैं खुद एक न्यूट्रिशन क्लब ऑपरेटर बन गया हूं और बड़ा अच्छा लगता है लोगों को अच्छे सेहत को प्राप्त करने के लिए लोगों की मदद करते हुए। यदि आप भी लाइफ में सेहत में अच्छे बदलाव चाहते है या दूसरों को मदद करना चाहते है तो स्वागत है आपका। नीचे मेरा व्हाट्सएप लिंक दिया है संपर्क कर सकते है।


https://wa.me/message/6PB2HXEQ5CAXO1

दूसरा तरीका क्या है

दूसरा तरीका है इन्वेस्टमेंट का। इसमें क्या करना है कि जो भी हम काम धंधा कर रहे है उससे होने वाली बचत को अच्छे बिजनेस वाली कंपनियों के स्टॉक खरीदते रहा जाय। ये काम एक समय बाद जबरदस्त वेल्थ बनाता है। एक समय us स्टॉक के डिविडेंड से मिलने वाला धन आजादी दिलाता है। इसके अतिरिक्त चाहे तो रियल एस्टेट में भी निवेश करके ये काम कर सकते है। यदि इस काम को धैर्य और अनुशासन के साथ करते रहेंगे तो निश्चित तौर पर हम हम अपने पक्ष बदलने में सक्षम हो जाते है।

पोस्ट कैसा लगा अवश्य बताएं और कोई मदद चाहिए तो मेरे नंबर 9889307067 और 7272957000 पर संपर्क किया जा सकता है।


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